शान बढ़ाकर वीर धन्य है बुढ़िया के गहने दुर्गा जी के भजन माता रानी का भजन श्री देवी भजन मकड़ी की जाल के समान संसार कठिन परिश्रम संसार को आवाह्न किया यादें लेकिन तू चाय के साथ वाली नमकिन नही... हो सके तोह दूर ही रहना प्रेम यादोमें तोह हम हमेशा ही साथ रहेंगे लेकिन अब हकीकत में मुमकिन नही... सुबह वाली चाय तोह मैं बन ही जाऊँगा इस ख्वाबो वाली सपनों से... हमेशा जरा बचके ही रहना पगली इन दिखावे वालें अपनों से...

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